क्या होता है जब घर पे माँ पिता के बीच संबंध अच्छे नही होते लेकिन वो अपने बच्चों से उसे छुपाते हैं मगर बच्चे सब जानते हैं और एक मुद्दत से वो मां पिता के प्रेम को तरसते हैं और जब वो बच्चा कोई लड़की हो तो भावुकता की बात ज्यादा होती है। वो लड़की किसी से प्यार करती है और जब उसके साथ रहने के लिए वो लड़का शादी की बात करता है तब वो लड़की इस लिए घबरा जाती है क्योंकि बचपन से उसने पति पत्नी के रूप में जो संबंध देखा है वो उसके लिए बहुत ही तकलीफ देय है वो परिवार के आपसी ताने बाने को समझने में असमर्थ है और इस लिए उसके अंदर एक भय बना हुआ है कि कहीं बाद में जो आज सब खूबसूरत रिश्ते दिख रहे वो बदल न जाएं और इनके अंदर की खूबसूरती और प्रेम खत्म न हो जाये और संबंध न खत्म हो जाये। क्या होता है जब एक लड़की जो रोज़ पति पत्नी के झगड़े और टूटते संबंधों को देखती है क्योंकि वो एक लॉयर है। उसके अंदर एक भय होता है कि वो जिस लड़के से शादी करेगी कहीं वो भी ऐसा तो नही होगा। और वो भी तब जब उसके बचपन के प्यार जिसके लिए वो अपना शहर तक छोड़ के गई हो वो उसे धोखा दे चुका है। इधर मां की एक ही ख्वाहिश है कि वो बस शादी कर के। ये सब बातें वो बोल नही पा रही। एक लड़की जिसे सम्मान देने वाला और प्यार करने वाला एक लड़का जिससे वो शादी कर लेती है लेकिन घर भर की दुश्मन हो जाती क्योंकि वो लड़का उसकी जात का तो दूर उसके देश का भी नही है जबकि वो लड़का शायद उसके लिए सबसे बेहतर है और वो हर पल इस दर्द को अपने अंदर समाए जी रही है और कह नही पा रही। क्या होता है जब एक लड़का जिससे एक लड़की बहुत प्यार करती है उससे शादी करती है लेकिन लड़का उसके हर एक एक चीज़ पे उसे टोकता रहता है कपड़े ऐसे पहने ये क्यों करती हो ये क्यों नही करती। काम करो या नही खाने में क्या बनाओ क्या नही हर एक चीज़ पे और जिसके चलते उनका व्यक्तिगत जीवन पूरी तरह से प्रेम विहीन हो जाता है। और इसकी कमी उस लड़की के अंदर उसे तकलीफ देती है और किसी अन्य मर्द के साथ न सो कर हस्थमैथुन कर लेती है तो उसका पति उसे चरित्रहीन की श्रेणी में रख देता है। ये बात वो किसी से नही कहती और पूरा समाज उसका चरित्र प्रमाणपत्र देने लगता है।
ये सब कुछ इस लिए होता है क्योंकि इन सब उलझी ज़िन्दगी के बीच वो चारों लड़कियां खुश रहती हैं अपनी ज़िंदगी को खुल के जीने की पुरी कोशिश करती हैं। शायद इस लिए उन्हें गलत और गंदी लड़कियां कहा गया है।
मगर जरा एक और पहलू देखिए क्या किसी लड़की ने किसी को धोखा दिया। क्या वो किसी का अपमान कर और किसी का इस्तेमाल कर उसे छोड़ देने की इक्षा रखती है। वो बस किसी संबंध को खोना नही चाहती और न यह साबित करना चाहती हैं कि वो संबंधों या व्यक्तियों को वस्तु समझती हैं।
खूबसूरती किसी भी रिश्ते की यह होती है कि वो अपनों से सच बोलती हैं अपने माँ पिता से कुछ नही छुपाती।
एक पहलू और कि वो चारों बेहद ही करीबी दोस्त हैं एक दूसरे में सबकी जान बस्ती है। लेकिन फिर भी अपने जीवन की बहुत सी बातें जो उन्हें तकलीफ देती हैं वो उन्हें भी नही बताती। विचार आपस में मिलते हैं या नही मिलते मगर साथ वो एक दूसरे का नही छोड़ना चाहती।
एक और पहलू कि इन सब जीवन की जद्दो जहद के बीच वो तमाम गलतियां भी करती हैं। जिनके लिए उनको खुद ही उन गलतियों का एहसास होता है और उनकी पुनरावृति से वो हमेशा ही बचती आई हैं और उनकी सज़ा भी वो खुद को देती हैं।
इन सब के साथ कुछ ऐसे भी पहलू हैं जिनके लिए उन्हें हम और आप गलत कह सकते हैं और गलत कहना सही भी है मसलन भाषा शैली के लिए उनके खानपान के लिए उनकी जिद के लिए। परंतु प्रश्न यह है कि शायद असल जिंदगी में वर्तमान समाज यही तो कर रहा है। और अगर उसे सामने लाने के लिए कोई फ़िल्म उसे वैसा का वैसा ही दिखा दे रहा तो उसमें फ़िल्म बनाने वाले का कोई दोष नही बल्कि यह हमें सोचना है कि आखिर हमने कौन सा समाज बना रखा है जो आज ऐसी फिल्में बनानी पड़ रही। क्यों जो कृत्य पुरुषों के हमेशा से असामाजिक
कहे जाते थे आज महिलाओं को भी वही करने की आदत हो चुकी है और उसे पुरुष स्वीकारना नही चाह रहा और महिलाएं उसे समानता समझने लगी हैं। विरोध फ़िल्म का या उनके किरदारों न करिए बल्कि जो उसमें दिखाया गया है कि ये समाज में हो रहा उसे सुधारने और खुद से बदलाव लाने की कोशिश करनी चाहिए।
प्रेम को जाति में न बांधे बस यह देखें कि हमारे बच्चे खुश किसमें हैं। लड़कों को चाहिए कि वो लड़कियों के खामोश दर्द को समझें। लड़कियों को भी लड़कों की खामोशी समझनी होगी।
बागबान फ़िल्म में जब लड़की देर रात क्लब जाती है और इससे उसके घर वालों को कोई फर्क नही पड़ता लेकिन जिस लड़के के साथ वो जाती है वो उसकी इक्षा के विरुद्ध उससे संबंध बनाना चाहता है (नशे की हालत में) और लड़की उसका विरोध करती है। तब लड़का गलत होता है ठीक उसी प्रकार से वीरे दी वेडिंग में जब लड़की लड़के को कार्यक्रम के बीच में उसकी इक्षा के विरुद्ध किस करना चाहती है तो यहां पर लड़का गलत नही बल्कि गलती लड़की की है और यह बात कहना कि जाओ तुम मम्मा बॉय हो तुम उन्ही से शादी कर लो किसी भी नज़र से सही नही कहा जा सकता। जिस प्रकार से आप की इक्षाएँ होती हैं ठीक उसी प्रकार से लड़कों की भी मर्ज़ी और उनकी इक्षा का खयाल आप को रखना होगा। इसी फिल्म में जिस प्रकार से करीना कपूर से शादी करने वाला लड़का उसका उसके हर फैसले में साथ देता है वैसे ही एक अंग्रेज लड़के के हर फैसले पे लड़की उसका साथ देती है।
फ़िल्म में यह समझाया गया है कि हर इंसान गलती करता है परंतु उसे गलती सुधारने और बदलाव करने का मौका दिया जाए तो निश्चित ही परिणाम सकारात्मक होगा। बस हमें उनपर पूर्ण भरोसा करना होगा।
फ़िल्म में आप को लगता होगा कि प्रेम का मतलब सिर्फ सेक्स बताया गया है परंतु ऐसा नही है। यह समाज में हो रहा ऐसा दर्शाया गया है। प्रेम में समझ, सम्मान, आदर, भरोसा, संचार और खुशी का होना ज़रूरी है। फिर वो रिश्ता कोई भी हो चाहे भाई भाई का ही क्यों न हो या फिर प्रेमी प्रेमिका का हो।
यह ज़रूर है कि हमें प्रेम को भोग विलास ही नही समझना चाहिए वो ज़रूरत मात्र है और यह ज़रूरत तभी पूरी हो सकती है जब उपरोक्त प्रेम के आवश्यक तत्वों को पूरा किया जाएगा। त्याग की भावना और सामने वाले को सदैव ऊपर उठाने का प्रयास ही रिश्ता मज़बूत करता है।
भाषाशैली पे मेरी आपत्ति है। और समाज को यही बदलाव करना होगा। फिल्में समाज का आईना होती हैं यदि वह आईना आप को गंदा लग रहा तो समाज को खुद को साफ करना होगा वरना आईना है रगड़ते रहिये कपड़े से आप सभी न साफ हो तो एक पत्थर तबियत से उछालियेगा आईना टूट जाएगा। मगर समाज में बदलाव नही आएगा और एक रोज़ ये रूप हमें ही खत्म कर देगा।
- देश दीपक सिंह