रविवार, 8 अप्रैल 2018

भाजपा के जागने का समय

लोक सभा चुनाव में अप्रत्याशित जीत के बाद बीजेपी कार्यकर्ता एकदम उत्साह से परिपूर्ण दिखे। होना भी चाहिए था। आखिर पहली बार बीजेपी पूर्ण बहुमत से जीती थी। और नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बन रहे थे। आम जनता भी मोदी से पूरी उम्मीद लगाये बैठी थी। यह होना लाजमी था आखिर पहली बार चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा गया था। विदेश नीती हो या देश में सरकारी काम में तेजी। नरेन्द्र मोदी ने उसी उम्मीद पर खरा उतरने के लिए तमाम काम भी किये। इसी बीच बीजेपी ने सदस्यता अभियान का टेक्नोलजी से लैस एक प्रोफार्मा तैयार किया। जिसको पुरे देश में बहुत जोर शोर से शुरू किया गया। पुरे देश का बीजेपी कार्यकर्ता इस काम में पूरी तन्मयता के साथ लग गया। और विश्व रिकार्ड कायम करते हुए एक करोड़ से भी अधिक सदस्य बनाये। बीजेपी इस कामयाबी के लिए गिनीज बुक ऑफ़ वर्ड रिकार्ड से भी नवाजी गई। पर इस कार्य में कहीं न कहीं बीजेपी कार्यकर्ता उस मूल कार्य से हट गए जान पड़ते हैं जिसको लेकर वो लोक सभा चुनाव में उतरे थे और जनता ने भी उनसे जिसके लिए उम्मीद लगाई थी। अब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह खुद सदस्यता अभियान का जमीनी हाल जानने की कोशिश करेंगे। वह 20 मार्च से अपना यह काम शुरू करेंगे। अमित शाह की सदस्यता अभियान को लेकर गंभीरता पार्टी हित के कुछ मायनों में बहुत अच्छी हो सकती है। पर इसका दूरगामी परिणाम अच्छा हो यह सोचनीय है। आखिर जब पार्टी के सभी कार्यकर्ता सिर्फ सदस्यता अभियान में ही लगे रहेंगे तो उनसे जनता के बीच में काम करने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। उत्तर प्रदेश में 2017 के चुनाव बेहद नजदीक हैं। जहां सपा अपने आप को दुबारा सत्ता में लाने के लिए तेजी से काम करने की कोशिश कर रही है। बसपा अभी से चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है। वहीं भाजपा का सिर्फ सदस्यता अभियान में ही लगे रहना उसके लिए संकट न खड़ा कर दे। इधर प्रदेश सरकार द्वारा कई ऐसे कार्य किये गए जिसके लिए तमाम विरोधी दल सड़कों पर उतरे, ट्रेन रोकी, विधान सभा में विरोध किया। फिर वो चाहे कानून व्यवस्था को लेकर विरोध रहा हो या फिर भूमि अधिग्रहण संसोधन रहा हो। मगर भाजपा सिर्फ सदस्यता अभियान में ही मशगूल दिख रही है। भाजपा को अगर यह लगता है कि जिस तरह से लोक सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में उसे जीत मिली है वैसी ही जीत उसे 2017 के विधान सभा चुनाव में मिलेगी। भाजपा को अभी से जमीनी हकीकत पर उतर कर जनता के बीच में जुटना होगा। वरना 2017 की कुर्सी प्रदेश में आसान नहीं।

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