रविवार, 8 अप्रैल 2018

देश के मूल को न भूलें


जिस देश ने भारत पर 200 साल तक राज किया हो। जिसने वो हर कदम उठाये जिसे आज भी सुन कर हमारा दिल सिहर उठता है। जिस वक्त हमारा देश गुलामीं की जद में था उस वक्त के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को अध नंगा फकीर कह कर मजाक उड़ाया हो। उसी देश में उस अध नन्गे इंसान को सलाम किया जाए। उसकी मूर्ति लगे। और यही नहीं महात्मा गांधी की मूर्ति उसी इंसान के साथ जिसने ऐसा मजाक किया हो। ये सपना भी लगता है और गर्व का समय भी। कुछ ऐसा ही हुआ ब्रिटेन के ऐतिहासिक पार्लियामेंट स्क्वेयर में जहां शनिवार महात्मा गांधी की मूर्ति का अनावरण किया गया। समारोह में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरून, वित्त मंत्री अरुण जेटली, महात्मा गांधी के पोते गोपाल कृष्ण गांधी और महानायक अमिताभ बच्चन भी शामिल हुए। कांस्य की इस मूर्ति को मशहूर शिल्पकार फिलिप जैक्सन ने तैयार किया है। महात्मा गांधी ऐसे विरले महापुरुष हैं, जिनकी भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका के बेलेवू में स्थित एस्फोर्ड पार्क प्लाजा, अस्ट्रेलिया के केनबरा में स्थित ग्लेब पार्क, चीन के बीजिंग स्थित शाओयेंग पार्क, और रूस के मास्को स्थित स्टेट फारेन लिटरेचर लाइब्रेरी समेत 70 से ज्यादा देशों में मूर्तियां लगी हुई हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड ने कहा कि यह प्रतिमा विश्व राजनीति के सर्वकालिक शिखर पुरुषों में से एक को दी गई शानदार श्रद्घांजलि है। उनकी ज्यादातर शिक्षाएं आज भी बेहद प्रासंगिक और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी हैं। महात्मा गांधी की इस मूर्ति के कई मायने हैं। ये सिर्फ हमें विश्व में अपने नाम की और ज्ञान की महत्ता को ही नहीं दर्शाता बल्कि इससे हमें भी बहुत शिक्षा मिलती है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि आज पूरा विश्व हमारे देश के विचार से प्रभावित हो रहा है। क्या वाकई में हम विश्व का नेतृत्व करने की क्षमता रखते हैं। अगर ऐसा है तो इसके लिए हम क्या प्रयास कर रहे। सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने नेताओं के भाषण ही पर्याप्त नहीं हैं। इसके लिए हमे अपने उस मूल को भी पकड़ना होगा जिसके लिए आज भी पूरा विश्व भारत देश का आभार मानता आ रहा है। ब्रिटेन में लगी ये मूर्ति अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिहाज से कितनी सही है, यह भारत और ब्रिटेन के संबंधों पर कितना प्रभाव डालेगी। ये तय करना अभी जल्दबाजी होगा। पर इससे हम यह सीख जरूर लें कि कोई भी देश अगर विश्व स्तर पर अपने आप को स्थापित करता है तो वह उसका मूल है, उसका इतिहास है।

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