आम आदमी पार्टी यानी कि आप। इसकी परिभाषा जो अरविन्द केजरीवाल ने पार्टी बनाते वक्त दी थी वो कुछ इस तरह थी कि यह आम जनता की पार्टी है। भारत देश के हर इंसान की पार्टी है। आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों के इस विचार पर समीर अनजान का लिखा और हिमेश रेशमिया का गाया वो गाना भी बिलकुल फिर बैठता है “तुम और मैं गर हम हो जाते”। पर हाल ही में पार्टी की अन्तह् कलह को देखते हुए पार्टी की सोंच कुछ इस तरह से जान पड़ती है कि चलो बस हो चूका मिलना, न तुम खाली न हम खाली। योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, अंजलि दमानिया, मयंक गांधी के बाद अब पार्टी की बिहार यूनिट के प्रमुख बसंत कुमार चैधरी ने अपने राष्ट्रीय नेतृत्व पर व्यक्तिवाद और स्वार्थ की संस्कृति को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। चैधरी ने कहा, ‘आज पार्टी में अंदरूनी लोकतंत्र की जगह स्वार्थी लोगों ने ले ली है। पार्टी अपने अंत की तरफ तेजी से बढ़ रही है। अब बातचीत का केंद्र ताकतवर नेतृत्व बन गया है। भ्रष्टाचार से दूर रहने और आंतरिक लोकतंत्र जैसी बातें अब अर्थहीन हो गई हैं। पार्टी की तरफ से मोर्चा संभाले वाक्पटुता के धनी कुमार विश्वास का कहना है कि ये लोग पार्टी को बुरी स्थिति में दिखाने के लिए साजिश करते हैं। कुमार विश्वास ने आप के पूर्व विधायक राजेश गर्ग पर भी आरोप लगाए हैं। विश्वास के अनुसार राजेश गर्ग ने ही इस ऑडियो स्टिंग को मीडिया में रिलीज किया है। उसने ही यह टेप एक पत्रकार को उपलब्ध कराया था। उन्होंने इस बात पर विश्वास जताते हुए कहा कि वे लंबे समय से ऐसे लोगों के बीच काम कर रहे हैं उन्हें ऐसे लोगों से निपटना और ऐसी स्थितियों से उबरना आता है। ये तो बयान हैं। खैर अगर हम पार्टी के बनते वक्त की बात करें तो योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण से विचार विमर्श के बिना कभी भी अरविन्द केजरीवाल ने कोई भी कदम नहीं उठाया था। जिस सोंच और संकल्प के बीच इस पार्टी ने जनता का विश्वास जीता है क्या वह इस अंतर विरोध के बाद बचा रहेगा। क्या पार्टी वाकई में कुछ खास लोगों के ही मध्य सिमट के रह गई है। कुमार विश्वास का यह कहना कि अरविन्द केजरीवाल जब बीमार होते हैं तभी विरोध उत्पन्न होता है। ये कहीं इस बात का इशारा तो नहीं कि अरविन्द केजरीवाल ही एक मात्र माध्यम हैं जो इन सब को एक साथ बांधे हुए हैं। वरना इस दल में कोई भी लोकतंत्र या एकमत विचार का समर्थक नहीं है।
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