एक बार फिर हंगामा हुआ है। वजह है निर्भया कांड पर बनी डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया’ज डॉटर’। हंगामा क्यों है समझना भी ज़रुरी है। इसमें पहला सवाल है जो बहुत हद तक जायज लगता है वह यह कि क्या इसकी शूटिंग के दौरान जेल नियमों की अवहेलना हुई। डॉक्यूमेंट्री की ब्रिटिश निर्माता लेसली उडविन का दावा है कि उन्होंने 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में 23 वर्षीय युवती के साथ हुए दुराचार के सजायाफ्ता मुजरिम मुकेश सिंह से इंटरव्यू लेने के लिए तमाम प्रक्रियाएं पूरी की थीं। इसमें कितनी सच्चाई है ये तो जांच होने के बाद ही पता चल सकेगी। इसके इतर एक सवाल जो और भी गंभीरता से उठाया जा रहा है कि क्या अपराधी को अपना पक्ष किसी फिल्म में या सार्वजनिक मंच पर रखने का मौका दिया जाना चाहिए। मुजरिम सामाजिक रूप से अस्वीकार्य बातें कहता है, तो क्या उसे जनसंचार के माध्यमों पर प्रसारित किया जाना चाहिए? यह वो प्रश्न हैं जो फिलहाल पूरे देश में बहस का मुद्दा बने हुए हैं। हो सकता है कि कुछ लोग इसे गलत मानें और इस मामलें में तो यह विचार भी काम कर रहा है कि अपराधियों ने अकथनीय क्रूरता दिखाई, उन्हें मंच देना अवांछित और अनौचित्यपूर्ण है, मगर एक विचार यह भी है कि दुष्कर्म सामान्य अपराध नहीं है, बल्कि इसके पीछे ऐसी सांेच काम करती है, जिसकी जड़ें समाज में हैं। ऐसे में दुष्कर्म की मानसिकता को समझना ऐसे अपराधों को रोकने के उपाय करने के लिहाज से उपयोगी हो सकता है। मुकेश सिंह ने जो कहा बेशक उससे महिलाओं को लेकर उसकी पतित सोंच जाहिर होती है, और जिस तरह से इस पूरी डॉक्यूमेंट्री में वकीलों के बयान भी दिखाए गए। और उनका यह कहना कि हमारे समाज में लड़कियों का रात में किसी भी व्यक्ति के साथ बाहर जाना किसी भी तरह से सही नहीं है। यह बयान और भी कई सवालों को जन्म देता है। इस डॉक्यूमेंट्री में जो भी दिखाया गया है उसका विरोध कितना सही है यह तो आप जनता तय करे पर यह भी सच है कि इस डॉक्यूमेंट्री को नकारात्मक
सोंच के साथ नहीं देखा जाना चाहिए। यह मुमकिन है कि यह डॉक्यूमेंट्री अपने समाज के एक अप्रिय यथार्थ से हमारा साक्षात्कार कराती है। भारत में इसे दिखाने पर रोक लगाई जा चुकी है। और अब मामला न्यायपालिका के दायरे में है। निर्भया कांड ने देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया था। आज भी इसकी चर्चा महिलाओं की सुरक्षा एवं स्वतंत्रता से जुड़े मुद्दों को उभार देती है। इसका विरोध दुखद है। अब उम्मीद न्यायालय से है कि उसका फैसला देश में एक मिसाल कायम करेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें