रविवार, 8 अप्रैल 2018

एक्सप्रेस सी जिंदगी में रंगों का इंटरवल

जम्मू कश्मीर में बयान को लेकर विवाद है। भाई ये राजनीति है इसमें बुरा मानने जैसा क्या है ? अरविन्द केजरीवाल ने संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया। इसमें बुरा मानने जैसा क्या है। योगेन्द्र यादव, प्रशांत भूषण से आप की अनबन है। इसमें बुरा मानने जैसा क्या है। विराट कोहली नाराज़ हैं उन्होंने पत्रकार भाई को अपशब्द कह दिए। इसमें भी बुरा मानने जैसा क्या है। ये देश तमान विसमताआंे से भरा हुआ है। यहां कई रंग हैं। कई भाषाएं हैं। तमाम विचारधाराएं यहां एक साथ आपस में हमेशा युद्ध लड़ती रहती हैं। पर इसमें बुरा मानने जैसा क्या है ? और वो भी ऐसे समय में जब त्यौहार ही बुरा न मानने का हो। होली का त्यौहार है जिसमें हमेशा ही हम बुरा न मानो होली है कहते हैं और वो सब कार्य करते हैं जो आम दिनों में किसी को भी बुरा महसूस करा सकते हैं। खैर इस त्यौहार में आइये हम सब मिल कर इन तमान बातों पर खुशी के रंग डालें और एक दुसरे से इस कदर मिलें कि देश की एकता और अखंडता को पूरी दुनिया में फिर से स्थापित करें। वैसे भी भारत हमेशा से ही तमाम विसमताओं को लेकर जिया है और जीता भी है। फिर वो धार्मिक विसमता हो, आर्थिक विसमता हो, वैचारिक विसमता हो, बोली की विसमता हो या क्षेत्र की विसमता हो। आइये फिर से एक हों और अबीर गुलाल के तमाम रंगों में रंग कर एक इंटरवल लें ताकि हमारी आपकी एक्सप्रेस की तरह भागती ज़िन्दगी में कुछ पल साथ के हों। पर ये ज़रुर ध्यान रहे कि किसी को कोई नुक्सान न हो, रंग हों, गुजिया हों, मीठा नमकीन हों, पर हेल्थ फ्रेंडली हों। देश हमारा है, लोग हमारे हैं, त्यौहार हमारा है रंग में भंग न पड़े तो अच्छा है। उन लोगों को भी नम आँखों से होली मुबारक जिन्होंने किसी भी कारण से अपने किसी को खो दिया हो। शहरवासियों को होली की ढेरों शुभकामनाएं।     






   

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