रविवार, 8 अप्रैल 2018

बोझ उतना जितना बर्दास्त हो

2022 तक खत्म होगी गरीबी। संसद में जब आम बजट पेश करते वक्त वित्त मंत्री अरुण जेठली ने यह घोषणा की तो सभी विपक्ष की नींद ही उड़ गई। पक्ष ने खूब तालियां बजा कर इसका स्वागत किया। बेहतर है की आम बजट में गरीबी खत्म करने की बात की गई है। पिछले साठ साल से हम यही सुनते आये हैं हर बजट में कि गरीबी कम की जाएगी। पर अगर अब हम गरीबी खत्म करने की बात कर रहे तो शायद कुछ बेहतर ही है। परन्तु इस पर कई सवाल भी हैं कि आखिर यह होगा कैसे ? सिर्फ सदन में इतना कह देने भर से गरीबी खत्म नहीं होती। अगर ऐसे में विपक्ष यह कहता है कि ये सिर्फ काल्पनिक बजट है तो शायद गलत नहीं है। वित्त मंत्री जी आखिर बातें करके आप जनता को यह तो बताना चाहते हैं कि बीजेपी सिर्फ गरीबों और आम जनता के लिए काम कर रही है। पर उसकी एक ठोस रूपरेखा नहीं बताई आप ने। ये कहना भी गलत नहीं है कि बीजेपी ने इस बार के आम बजट में परंपरागत बजट पेश करने की औपचारिकता मात्र नहीं की है। लेकिन ऐसा कहना की वाकई में ये बजट पूरी तरह से आम जनता का है तो भी गलत ही होगा। मोबाइल फोन, पानी की बोतल, रेस्टोरेंट में खाना, दवाइयां जैसी चीजें महंगी होना। टैक्स में कोई रियायत न मिलने से आम जनता में निराशा है। इसके साथ ही सर्विस टैक्स में बढोतरी, 2 प्रतिशत स्वच्छ भारत टैक्स ने भी जनता पर बोझ बढ़ा दिया है। विपक्ष इन्ही मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने का मन बना रही है। नरेन्द्र मोदी ने जिस तरह से देश में सफाई और विकास पर जोर देते हुए हर योजनाएं बनाने की बात की थी ऐसे में इस तरह का आम बजट कहीं न कहीं उनकी बातों को पूरा करता तो दिखता है पर जनता पर इतना बोझ कही आप को आने वाले चुनावों में भारी न पड़ जाए। मोदी जी बीजेपी की सरकार पहली बार पूर्ण बहुमत से बनी है। इस बात का जरुर ख्याल रखें कि भारत की जनता अभी इतना बोझ सहने के लिए तैयार नहीं है।  

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