शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

बधाई हो लखनऊ

सभी लखनऊ वालों को बधाई। आखिरकार जिस कलंक पर आप शर्मिंदा थे उस असफल प्रेमी को सजा दिलवाने में आप सभी ने खूब मदद करी। खूब मोमबतियां जलीं, खूब प्रदर्शन हुए, खूब रोष प्रकट हुआ सोशल मीडिया के माध्यम से भी हर संभव प्रयास हुए। पर अंत भला तो सब भला की कहावत को आप सभी ने चरितार्थ कर दिया। बधाई हो आप को। गौरी को इंसाफ दिला दिया आप ने। अब आप सभी मोहब्बत के इस सप्ताह का दिल खोल कर मजा लें। सुकून से रहें कोई फिल हाल ऐसा अब न करेगा। पर याद है क्या आप को वो कुछ महीने पहले की मोहनलालगंज की वो घटना जिसमे 2 मासूम बच्चों की मां का शव एक सरकारी स्कूल में नग्न अवस्था में पाया गया था? नहीं याद आया क्या ? अरे वही मामला जिसके लिए न जाने कितनी सामाजिक संस्थाओं ने अब बस के नारे लगाते हुए विरोध के सारे तरीके अपनाये। इन्साफ की गूंज उनकी इतनी थी की महिला के घर से लेकर पूरा लखनऊ उसे इन्साफ दिलाने के लिए सड़कों पर आ गया। सरकार को समझ आ गया था की किसी भी तरह इसे रोकना होगा वरना कैसे इस आक्रोश से निपटा जाए। सीबीआई जांच की सिफारिश की, एक चैकीदार को पकड़ा और हो गया खुलासा। पुलिस का काम पूरा अब कानून अपना काम करेगा। पर सवाल ये की क्या इतना जन आक्रोश इतना विरोध ये सब महज इतने से के लिए की पुलिस अपना काम करदे। वो सही है या गलत उसने अपना काम किया बस ? क्या इतने से इन्साफ मिल जाता है ? क्या हमारी इतनी ही मांग होती है ? अगर इतना ही निष्प्रभावी है प्रशासन तो क्यों उससे गुहार लगाना। और अगर ऐसा नहीं है तो फिर इतना जन आक्रोश किस बात का। सच है की हम सुरक्षित नहीं। पर इसका जिम्मेदार कौन? केवल प्रशासन या हम सब भी ? गौरी को इन्साफ मिला हर्ष को इन्साफ मिला उन दो बच्चों को इन्साफ कब ? जनता सवाल करना जानती है तो जवाब भी देना सीखे। क्योंकि ये मुद्दा सिर्फ सरकार से या प्रशासन से जुड़ा ही नहीं है हम आप से भी जुड़ा है। आज भी मोहनलालगंज चीख चीख कर इन्साफ की गुहार कर रहा। प्रशासन नहीं सुन पा रहा तो क्या हम आप भी नहीं सुन पा रहे। हम सुन कर उसे इन्साफ तो नहीं दे सकते पर क्या इस घटना से सीख कर दुबारा ऐसा न हो इसका संकल्प तो ले ही सकते हैं। और अपनी आवाज तब तक बुलंद रखें जब तक उसे इन्साफ न मिल जाए। वरना कुछ एक घटनाओं का खुलासा कर पुलिस आप से यही कहेगी लो भाई कर दिया आप को दिया वादा पूरा अब तो कुछ नहीं बचा न, बधाई हो आप को......   

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