इधर कई सालों से चुनाव में देखने को मिला की हर दल कुछ न कुछ नए तरीके अपनाती है जीत के लिए। पार्टी तो पार्टी नेता भी नायाब रंग में नजर आते हैं। मसलन नरेन्द्र मोदी का पहनावा हो , केजरीवाल की टोपी और मफलर हो या फिर मनमोहन सिंह की एक ही रंग की पगड़ी। इसके अलावा चुनाव के लिए हर पार्टी और नेता बाकायदा पैसे देकर लोगों को उनके प्रचार के लिए नए नए तरीके इजात करने के कहते हैं। पिछले साल ही बीते लोक सभा चुनाव में जिस तरह से बीजेपी ने अबकी बार मोदी सरकार जैसे नारों से जनता के बीच जाने में सफलता हासिल की वही जनता माफ न करेगी जैसे नारे भी खूब चले थे। इसका असर ये हुआ कि दिल्ली के चुनाव में आप पार्टी के नेता भी देश में मोदी दिल्ली में केजरी के नारे लगाने लगे। इसके साथ ही अगर हम एक और बदलाव देखें तो पाते हैं कि अब नेता भी अपने पहनावे को लेकर बड़े ही संजीदा हो गए हैं। जब 2014 में लोक सभा के नए सदस्य पहली बार संसद पहुंचे तो बहुतों के पहनावे चर्चा का विषय रहे। नरेन्द्र मोदी का पहनावा तो चुनाव के पहले भी चर्चा में था और आज भी वो चर्चा का विषय बना हुआ है। अरविन्द केजरीवाल का सादगी भरा लुक भी चुनाव के साथ ही चर्चा में बना हुआ है। स्टाइल, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘मोदी-सूट’ एक बड़े धमाके के साथ निरन्तर सुर्खियों में है। विश्व मीडिया तो दीवानों की तरह उस पर लिख ही रहा है, देश में बड़े पैमाने पर उस सूट पर प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। ‘आत्ममुग्ध’ होने का प्रमाण कहा जा रहा है। नरेंद्र दामोदरदास मोदी लिखी धारियों वाले उस सूट के फैब्रिक को लंदन से आयात किया गया बताया गया। 10 लाख रूपए में सिला गया। बराक ओबामा से मुलाकात के वक्त पहना गया मोदी नाम के सोने के धागे वाले सूट को दिल्ली के वोटरों ने अमीरी, अहंकार और अपमान माना’। ये कितना सही है पता नहीं पर प्रचार कुछ ऐसा ही हुआ। इसकी तुलना दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल की ‘सादगी’ वाले कपड़ों से की गई। यह बहस भी चली कि मोदी दिन में तीन बार कपड़े बदलते हैं, जबकि केजरीवाल ‘एक कपड़े को तीन दिन तक चला लेते हैं।’ इन अफवाहों में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता पर इन बातों को बहस का मुद्दा बनाकर हम कहीं न कहीं भारत देश की जनता से अभद्र मजाक ही कर रहे हैं। हम आप को इससे उठ कर विकास के मुद्दे पर बड़ी बहस करनी होगी। वरना जैसे इतने साल बीते विकास की आस में और भी बीत ही जायेंगे।
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