कहते हैं की राजनीति की शुरुआत ही संबंधों से होती है | क्योंकि किसी भी राजनेता का भविष्य ही संबंधों
से है | हाल ही में लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव के बीच संबंधों की एक
आधारशिला रखी गई | बीते दिनों ही लालू प्रसाद यादव अपनी सबसे छोटी बेटी का तिलक लेकर
मुलायम सिंह यादव के पैत्रक निवास सैफई पहुंचे | और मुलायम सिंह यादव के भाई के
बेटे तेज प्रताप सिंह को तिलक लगाया | जिस वक़्त ये रिश्ता तय किया गया था उस वक़्त
इसे राजनितिक रूप से भी बड़ा कदम बताया गया | कई तरह के कयास लगाये गए कि इन
संबंधों का लालू को और मुलायम को कितना फ़ायदा राजनीति में होगा | खैर बात आई गई
हुई और कयासों का क्या है सही बैठा तीर तो टीक नहीं बैठा तो ठीक | तिलक समारोह में
अगर नज़र डालें तो कई ऐसे मेहमान दिखे जिनका होना अप्रत्याशित ही लगता है | पर ये
राजनितिक नहीं पारिवारिक सम्बन्ध कहिये या फिर इसे शुद्ध अच्छी राजनीति | जिस तरह
से लालू प्रसाद यादव और मुलायम सिंह यादव हमेशा से ही बीजेपी को साम्प्रदायिक दल
का दर्ज़ा देते आये हैं | और नरेन्द्र मोदी को भी हर मौके पर विफल और देश के लिए
खतरा बताते आये हैं | वही नरेन्द्र मोदी तेज प्रताप सिंह के तिलक में मुख्य अतिथि
की भूमिका में उपस्थित थे | ये राजनितिक था या नहीं पता नहीं पर इससे २ बाते निकल
कर आती हैं | पहली की राजनीति में सब चलता है और सब एक ही थाली के चट्टे बट्टे हैं
| दूसरी बात कि राजनीति में सम्बन्ध को हमेशा अलग ही रखा जाता है | राजनीति कभी भी
संबंधों पर नहीं की जाती | दूसरी बात पर अगर गौर करें तो ये कहीं न कहीं भारत के
लोकतंत्र की बेहतर परिभाषा को बताता है | किसी भी देश के लिए यह बहुत ही आवश्यक
होता है की वहाँ की राजिनीति हमेशा से ही स्वस्थ होनी चाहिए और वो कभी भी
व्यक्तिगत न हो | ऐसा नहीं है कि भारत देश की राजनीति में ये पहले देखने को नहीं
मिला है | ऐसे अनगिनत मौके आये हैं जब हमे एक बेहतर और दल से उठ कर भारत की एक
विचारधारा वाली राजनीति देखने को मिली है फिर वो चाहे आतंकवादी हमला रहा हो या फिर
किसी भी राजनेता का व्यक्तिगत कोई भी उत्सव या जनता के हित का कोई भी मामला |
हमारे देश की राजनीति का ये पहलू हमेशा से ही इस लिए मज़बूत रहा है क्योंकि इसी
मजबूती पर देश का लोकतंत्र टिका है और हम आप की उम्मीदें भी |
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