शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

चुनाव में ही क्यों दिखता है सबका चरित्र प्रमाण पत्र

वैसे तो हमने राजनीति के तमाम रूप देखे हैं। कभी कोई नेता किसी अच्छे काम के लिए जाना गया है तो कभी कोई नेता अपने बुरे काम के लिए। कोई धनकुबेर के जाल में फंसा तो कोई चरित्र के फेर में। कौन कितना सही रहा और कितना गलत रहा इसका भी कोई अंतिम निर्णय न ही आ सका। पर ये ज़रुर रहा कि जब चुनाव आये तब तब हर पार्टी और हर नेता एक दुसरे का चरित्र प्रमाण पत्र लेकर साथ चलते हैं और उसी के बल पर अपनी जीत पक्की करना चाहते हैं। इसके लिए मुझे उदाहरण देने की ज़रुरत नहीं। ये कितना सही है और कितना गलत ये तय जनता खुद करे। मैं चुनाव के बाद के कुछ लम्हें आप से बाँटना चाहता हूँ। दिल्ली के चुनाव हुए और चुनाव खत्म होने तक हर नेता एक दुसरे को जितना ज्यादा से ज्यादा देश का दुश्मन बता सकता था बताता जा रहा था। फिर वो चाहे अरविन्द केजरीवाल हों ,राहुल गांधी हों, या खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। पर जैसे ही चुनाव के नतीजे आये हर पार्टी और नेता विरोध में कुछ भी बोलने के बजाये जीते हुए को बधाई दे रहे थे। नरेन्द्र मोदी ने ट्विटर से सबसे पहले बधाई दी और बाद में मिलकर बधाई दी। इसके साथ ही तमाम अन्य नेता भी अरविन्द केजरीवाल को बधाई दे रहे थे। आप सोंच रहे होंगे कि आखिर मैं आप को इससे क्या समझाना चाहता हूं। मेरे कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना है कि हम राजनीति को सिर्फ खराब नज़र से ही न देखें क्योंकि चुनाव जीतने के लिए भले ही नेता अपनी हदें पार कर जाते हैं पर नतीजे आने के बाद के ये द्रश्य आपको और हमको अच्छी राजनीति का अहसास जरुर कराते हैं। हो भी क्यों न आखिर इसी लिए तो हम भारत देश के लोकतंत्र को इतना मजबूत मानते हैं। बस जरुरत इस बात की है अब इस राजनीति के स्वरुप को राजनेता इसी तरह हमेशा बनाये रखें और इसकी बेहतरी के लिए काम करें साथ ही हम आप भी राजनीति के इस स्वरुप को अच्छे नजरिए से देखें। अरविन्द जी आप को देश के दिल पर शासन करने के लिए बधाई और अन्य दलों को उनके इस अंदाज के लिए बधाई। आप इस देश के अगुवा हैं। आप जरुर इसकी गरिमा को समझते हैं। आप सभी के साथ साथ लोकतंत्र की इस परिभाषा को भी सलाम।

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