शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

आम जनता का बजट

अब इस बजट को संकटकाल का बजट कहिए या फिर देश की प्रगति का सकारात्मक बजट। जिस तरह से किराया न बढ़ाते हुए बीजेपी सरकार ने जनता को राहत देने कि बात की है। वहीं दूसरी तरफ मालभाडा बढ़ा कर महंगाई बढ़ने के संकेत भी दे दिए हैं। पूरे बजट को देखें बीजेपी सरकार ने टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने की बात की है। सुरक्षा को लेकर भी कडे कदम उठाये गए हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड का इस्तेमाल करना सराहनीय कदम माना जा सकता है। दो महीने की बजाये 4 महीने पहले टिकट आरक्षित कराया जा सकता है। पांच मिनट में सामान्य टिकट मिलेगा। पब्लिक पार्टनरशिप पर जोर। यह सभी कदम बेहतर दिखाई देते हैं। ऐसे में इसे बेकार बजट की श्रेणी में तो नहीं रखा जा सकता। विपक्ष इसको बेहतर नहीं मानती जैसा हर बार होता है। पर इस बार के बजट में कोई भी कमी नहीं निकाली जा सकी बस ये ज़रुर कहा गया कि बजट में सपने ज्यादा दिखाए गए हैं और यथार्थ में कुछ भी होना संभव नहीं दिखता। विरोध इस बात का भी किया जा रहा है कि आखिर क्या वजह है जो इतिहास में पहली बार बीजेपी सरकार ने कोई भी नई ट्रेन की घोषणा नहीं की है। ऐसे में सरकार पर सवाल उठ रहे। पर इस बात का ध्यान ज़रुर रखना चाहिए कि ट्रेन बढ़े या न बढ़े सुविधाएं ज़रुर बढाई जाएं। जिस प्रकार से सफाई को लेकर इस बार के बजट में जोर दिया गया है। साथ ही ई-फूडिंग की व्यवस्था, पीने का साफ पानी, बुजुर्गों और महिलाओं को लोवर बर्थ का कोटा आदि कई ऐसे कदम हैं जो बेहद ज़रुरी और अहम हैं। इनपर काम होना भी ज़रुरी है। अब बात सिर्फ इतने में ही नहीं सिमटनी चाहिए कि ये कार्य किये जायेंगे बल्कि इनका क्रियान्वयन भी हो इसका ध्यान देना मोदी जी को ज़रुरी है। हाल ही में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर चैतरफा घिरने के बाद ये ज़रुरी हो गया है कि जो भी वादे भारतीय जनता पार्टी अब कर रही है उस वह पूरा ज़रुर करे साथ ही कार्य दिखे भी। वरना जनता का भरोसा अगर उठा तो फिर उसे वापस लाने में बहुत दिक्कत होगी। बजट चुनावी हो या फिर परंपरागत, लाभ का केंद्र बिंदु आम जनता ही होनी चाहिए।      

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