शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

देश के रंगरेज रंग बदल रहे हैं

३३ विधान सभा और विधान परिषदों के स्पीकर और सचिव हाल ही में लखनऊ के विधान भवन में एक साथ ७७वीं स्पीकर्स कांफ्रेंसे में एकत्र हुए | ये कांफ्रेंसे कम एक क्लास ज्यादा दिख रही थी वो भी किसी ऐसे स्कूल की तरह जहाँ अक्सर टीचर यही कहते हैं की ये क्लास बहुत शैतान है | और इस क्लास की टीचर थीं लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा ताई | वो पूरी तरह से क्लास ऐसी ले भी रहीं थी मानो वाकई ये स्कूल हो | जिस तरह से स्कूलों में टीचर बच्चों को क्लास क्लास में बैठने , क्लास के अन्दर के व्यवहार आदि को बच्चों को बताती है टीक वैसे ही यहाँ भी सुमित्रा ताई सभी विधायकों व सभा में बैठे सभी लोगों को संसद और विधान भवन के अन्दर के काएदे कानून समझा रहीं थी | ये ज़रूर था की ४०३ सदस्यों वाली विधान सभा में ५०० विधायेकों वाली विधान सभा में बहुतेरी सीटें खाली ही रहीं पर क्लास की शिक्षा हमें बहुत कुछ आशाएं दे गई | सदन की कई ऐसी कार्यवाहियां याद आती है जहाँ कई बार ये देखने को मिला कि वाह यही वो सदन है जिसे हम सुनना चाहते हैं और हाँ इन्ही सांसदों की ज़रुरत इस देश को है और लोक तंत्र की मजबूती भी यही है | पर कुछ ऐसे भी सदन हुए जिसने हमें ना जाने कितना शर्मिंदा किया| कभी कुर्सियां चली तो कभी माइक फेंके गए | कभी वेल में घुस कर स्पीकर पर स्याही फेंकी गई तो कभी कागज़ के गोले, नोट उछले कागज़ फटे न जाने क्या क्या पर इस सम्मलेन के हुई चर्चा न जाने क्यों हर बार की चर्चाओं से अलग और बेहतर दिखी | जिस तरह से एक रंगरेज़ कपड़ों के रंग बदल कर उसको एक नया रूप नए कलेवर में ला कर उसे खूबसूरत बना देता है ठीक उसी तरह से इस देश के रंगरेज़ यानी की संसद और विधानसभा के सदस्य भी देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के मंदिर को नए अंदाज़ में सजाने की जो बात कर रहे थे वो वाकई बहुत उम्मीदों का जनक है | जहाँ अनुशासन हीनता पर दंड की बात है तो बेहतरीन काम करने के लिए बेस्ट एमएलए का अवार्ड देने की भी बात है | जहाँ ई गवर्नेंस की बात हो रही पेपर लेस सदन की बात हो रही हो वहां रंग बदलना तो तये भी है | बस यही उम्मीद हम आप से करते हैं की ये साड़ी बातें जो इस बार सम्मलेन में हुई हैं वो बातें शाम को रेखा भारद्द्वाज के बेहतरीन संगीत में आप के साथ खो न गई हो और वहां से आगे निकल कर हमें भी एक नए रंग और रूप के साथ सदन मिले |   

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